रत्नाकर: अर्थात गोलोकवासी श्री जगन्नाथदास रत्नाकर के सम्पूर्ण काव्यों का संग्रह (Ratnakar Arthat Golokavasi Shri Jagannathdas Ratnakar Ke Sampurn(Paperback, श्यामसुन्दर दास (Shyamsundar Das)) | Zipri.in
रत्नाकर: अर्थात गोलोकवासी श्री जगन्नाथदास रत्नाकर के सम्पूर्ण काव्यों का संग्रह (Ratnakar Arthat Golokavasi Shri Jagannathdas Ratnakar Ke Sampurn(Paperback, श्यामसुन्दर दास (Shyamsundar Das))

रत्नाकर: अर्थात गोलोकवासी श्री जगन्नाथदास रत्नाकर के सम्पूर्ण काव्यों का संग्रह (Ratnakar Arthat Golokavasi Shri Jagannathdas Ratnakar Ke Sampurn(Paperback, श्यामसुन्दर दास (Shyamsundar Das))

Quick Overview

Rs.1200 on FlipkartBuy
Product Price Comparison
These are reprint editions reprinted with the help of original book just to give the original look and feel we do not change its format and text due to which in some cases the text is not like new. किताब के बारे में: रत्नाकर अर्थात गोलोकवासी श्री जगन्नाथदास रत्नाकर के सम्पूर्ण काव्यों का संग्रह सम्पादक श्यामसुन्दर दास हिन्दी साहित्य के महान कवि जगन्नाथदास रत्नाकर की समस्त काव्य रचनाओं का संग्रह है यह ग्रंथ भक्ति नीति श्रृंगार और दर्शन से समृद्ध रचनाओं को एकत्र करता है जो ब्रजभाषा और खड़ी बोली की काव्य परंपरा को जीवंत बनाते हैं श्यामसुन्दर दास ने इन रचनाओं का गूढ़ संपादन करते हुए रत्नाकर की भाव.गंभीरता भाषा.शैली और काव्य.कला को उजागर किया है यह संग्रह न केवल एक कवि की साधना का दस्तावेज है बल्कि हिंदी काव्य.संस्कृति का अनमोल धरोहर भी है जो भक्तिपरक साहित्य को नई दृष्टि देता है लेखक के बारे में: डॉ श्यामसुन्दर दास (1875-1945) हिंदी साहित्य के महान विद्वान आलोचक और शिक्षाविद् थे जिन्होंने हिंदी के साहित्यिक नवजागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वे काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक सदस्यों में से थे उन्होंने लगभग 100 ग्रंथों का संपादन किया और अनेक मौलिक कृतियाँ जैसे साहित्यालोचन भाषाविज्ञान हिंदी भाषा का विकास गोस्वामी तुलसीदास रूपक रहस्य और मेरी आत्मकहानी लिखीं वे हिंदी पांडुलिपियों के खोजकर्ता संरक्षक और प्रकाशक थे उनके कार्य ने हिंदी साहित्य आलोचना और भाषा विज्ञान को समृद्ध किया डॉ दास का संपूर्ण जीवन हिंदी भाषा की सेवा में समर्पित था जो आज भी प्रेरणा स्रोत है The Title 'रत्नाकर: अर्थात गोलोकवासी श्री जगन्नाथदास रत्नाकर के सम्पूर्ण काव्यों का संग्रह (Ratnakar Arthat Golokavasi Shri Jagannathdas Ratnakar Ke Sampurn Kavyon Ka Sangrah) written/authored/edited by श्यामसुन्दर दास (Shyamsundar Das)', published in the year 1900. The ISBN 9789372251845 is assigned to the Paperback version of this title. This book has total of pp. 604 (Pages). The publisher of this title is Gyan Publishing House. This Book is in Hindi. The subject of this book is Hindi Story. Size of the book is 13.34 x 21.59 cms.