Adhunik Hindi Kavita Ka Itihas(Hardcover, Nandkishore Naval)
Quick Overview
Product Price Comparison
आधुनिक हिन्दी कविता का इतिहास - पिछले दिनों हिन्दी साहित्य के एक-दो इतिहास-ग्रन्थ निकले हैं। वे एक तो सर्वेक्षणात्मक है और दूसरे, प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर रचित नहीं होने के कारण गलत तथ्यों से भरे हुए हैं। एकाध विधा-विशेषज्ञ का इतिहास भी निकला है। उसे भी हम सही अर्थों में इतिहास नहीं कह सकते, क्योंकि वह संकुचित दृष्टि से लिखा गया है। चूँकि सहस्राधिक वर्षों में हिन्दी साहित्य का अत्यधिक विस्तार हो गया है, इसलिए पूरे इतिहास की रचना करना किसी एक लेखक के लिए सम्भव नहीं है। दूसरे कि किसी भी विधा में अनेक प्रकार के रचनाकार होते हैं, इसलिए किसी बनी-बनायी धारणा के आधार पर इतिहास नहीं लिखा जा सकता। उसके लिए विधा-विशेष का व्यापक अनुभव और दृष्टि का मुक्त होना आवश्यक है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के साक्ष्य से हम जानते हैं कि लोक-मंगल जैसे व्यापक प्रतिमान से भी हिन्दी साहित्य के साथ पूरा न्याय नहीं हुआ।साहित्य का इतिहास पूरा नहीं, तो अलग-अलग विधाओं का प्रत्येक पीढ़ी में लिखा जाना चाहिए। नया इतिहास रचनाकारों में से नये ढंग से चयन करता है, उन्हें नया क्रम प्रदान करता है और अपने नये एवं व्यापक दृष्टिकोण के द्वारा, जो मात्र साहित्यिक ही हो सकता है, नये निष्कर्षों पर पहुँचता है, जिससे नये साहित्य को बल प्राप्त होता है। रेने वेलेक ने ज़ोर देकर कहा है कि साहित्यिक इतिहास को इतिहास भी होना चाहिए और साहित्य भी। यह तभी सम्भव है, जब इतिहास में उचित आलोचनात्मक विश्लेषण का समावेश हो, पर इस सावधानी के साथ कि उस पर आलोचना हावी न हो जाये। डॉ. नवल ने आधुनिक हिन्दी कविता और कवियों पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं और इस बार उन्होंने एक बड़ी योजना को हाथ में लेकर उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। विश्वास है, इस पुस्तक से गुज़रनेवाले पाठक भी यह महसूस करेंगे।