Antyodaya(Hindi, Hardcover, Prabhat Jha) | Zipri.in
Antyodaya(Hindi, Hardcover, Prabhat Jha)

Antyodaya(Hindi, Hardcover, Prabhat Jha)

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देश में जब भी सामाजिक-आर्थिक चिंतन की बात की जाती है तो गांधी, जेपी-लोहिया और दीनदयालजी का नाम लिया जाता है। सामाजिक जीवन में और समाज के आर्थिक जीवन में यदि हमारी अर्थव्यवस्था अंत्योदय युक्त होगी तो समाज-जीवन की चिती की साधना स्वतः सफल होती जाएगी। अंत्योदय शब्द में संवेदना है, सहानुभूति है, प्रेरणा है, साधना है, प्रामाणिकता है, आत्मीयता है, कर्तव्यपरायणता है तथा साथ ही उद्देश्य की स्पष्टता है। दीनदयालजी कहा करते थे कि ‘जब तक अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उदय नहीं होगा, भारत का उदय संभव नहीं है’। वे अश्रुपूरित आँखों से आँसू पोंछने और उसके चेहरे पर मुसकराहट को अंत्योदय की पहली सीढ़ी मानते थे। दीनदयालजी के अंत्योदय का आशय राष्ट्रश्रम से प्रेरित था। वे राष्ट्रश्रम को राष्ट्रधर्म मानते थे। अतः कोई श्रमिक वर्ग अलग नहीं है, हम सब श्रमिक हैं। राष्ट्रविकास में सबको सम्मिलित कर भारत निर्माण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली चिंतनपरक पुस्तक।