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Arab Aur Bharat Ke Sambandh (Paperback) + Saral Chachnama (Paprback) + Alberuni Ka Bharat (Hardcover)--Combo Of 3 Books From Samyak Prakashan ( Garv Udyam )(PAPERBACK , HARDCOVER, Hindi, MAULANA SAYYED SULEMAN NADVI, DR. SURENDER AGYAT, ABULREHAN MOHAMMAD EBN) | Zipri.in
Arab Aur Bharat Ke Sambandh (Paperback) + Saral Chachnama (Paprback) + Alberuni Ka Bharat (Hardcover)--Combo Of 3 Books From Samyak Prakashan ( Garv Udyam )(PAPERBACK , HARDCOVER, Hindi, MAULANA SAYYED SULEMAN NADVI, DR. SURENDER AGYAT, ABULREHAN MOHAMMAD EBN)

Arab Aur Bharat Ke Sambandh (Paperback) + Saral Chachnama (Paprback) + Alberuni Ka Bharat (Hardcover)--Combo Of 3 Books From Samyak Prakashan ( Garv Udyam )(PAPERBACK , HARDCOVER, Hindi, MAULANA SAYYED SULEMAN NADVI, DR. SURENDER AGYAT, ABULREHAN MOHAMMAD EBN)

Quick Overview

Rs.2500 on FlipkartBuy
Product Price Comparison
(1) ARAB AUR BHARAT KE SAMBANDH--- अरब देश के साथ भारतीयों का घनिष्ठ संबंध रहा है। उधर जाने के दो मार्ग थे। पहला मार्ग था-जल-मार्ग से ईरान की खाड़ी जाकर वहां से स्थल-मार्ग से एपोलोगस, बेबीलोन, सिलीशिया और पेत्रा होकर अरब को पार करके भूमध्यसागर पंहुचा जाता था। द्सरा मार्ग पूरा जल-मार्ग था। इससे लाल 'सागर होकर अरब पहुंचते थे। लाल सागर के मुहाने पर अदन और दूसरे अरबी नगरों में भारतीय बस्तियां थीं। अरबों के साथ भारतीयों के व्यापारिक संबंध तो थे ही, भारतीय शिक्षा और विज्ञान भी वहां पहुंचे। अरबी यात्री भारत नें आते और यहां के विद्धान वहां जाते थे। अरबी विद्वान अलबरूनी ने अपनी भारत यात्रा के विस्तत संस्मरण लिख हैं। अरब लेखकों पर और वहां के साहित्य पर भारतीय प्रभाव स्पष्ट है। 'पञ्चतंत्र' की कथाएं वहां खूब लोकप्रिय हुईं।........(2) SARAL CHACHNAMA --- इसे चचनामा कहना उपयुक्त प्रतीत नहीं होता, क्यंकि चच की दास्तान तो कुछही पृफों में समाप्त हो जाती है. यह वस्तुतः अरबों द्वारा सम्पूण रूप में सिन्ध को जीतने का वृत्तान्त है, इसलिए मनन अहमद आसिफ ने अपनी किताब का शीर्षक दिया है-"A Book of Conquest :The Chachnama and Muslim Origins in South Asia इस किताब के स्वभाव का निर्णय इस बात पर नर्भर करता है कि लेखक कौन है-हिन्दु या मुसलमान. एक केलिए यदि यह हारों की दास्तान है तो दूसरे के लिए यह विजय की किताब है........(3) ALBERUNI KA BHARAT--- अलबेरूनी का जन्म 4 सितम्बर 973 ई खीवा (प्राचीन खारिज्म) नामक स्थान पर हआ वह महमूद से उमर कोई वर्ष छोटा था, परन्तु उसकी मृयु महमूद की णृयु(10) 9 से1९ वष बाद 1048 ई. मेंहई. र६ चतुर गणितज्ञ, इतिहासकार, दाशनिक, ताराविज्ञानी एबं सस्कृत का विद्वान था. a उसका पूरा नाम अबरहा मुहम्मद इब्न अहमद अलबेरूनी था. उसे अलबेरूनी इसलिए कहते हैं कि उसका जन्म स्थान खास खारिज्म न था, बल्कि उसका समीनवर्ती 'बेहूं नम का काइ उननगर था. ' 'बेरू' का होने के कारण वह 'बेरूनी' कहलाया. ( THESE BOOKS WITH THE SAME TITLE ARE SELL BY GARV UDYAM FROM SAMYAK PRAKASHAN )