Best Of Khushwant Singh / Khushwant Singh Ki Kahaniyaan(Paperback, Hindi, Singh, Khushwant)
Quick Overview
Product Price Comparison
दोस्त-दुश्मन, जानने-पहचानने वाले, घटनाएं, अपने आस-पास के समाज की सोच और उसकी मंशाएं, यहां तक कि भवन, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु कोई नहीं बच पाया खुशवंत सिंह की पैनी नज़र और तेज़-तर्रार कलम से। अपने जीवन में जो देखा, अनुभव किया, हरेक पर उनकी कुछ यादें और धारणाएं हैं जो इस अत्यंत रोचक पुस्तक मंे प्रस्तुत हैं। जहां एक ओर मदर टेरेसा और डाकू फूलन देवी से मुलाकातों की दास्तान है, तो वहीं अपने शहर दिल्ली की शानदार इमारतों की बातें और देश में तेज़ी से बढ़ते ढोंगियों और पाखंडियों का खुलासा किया है। पढ़ना शुरू करें तो आप पन्ने पलटते ही जायेंगे... खुशवंत सिंह एक प्रख्यात पत्रकार, स्तंभकार और लेखक हैं और उनकी लेखन शैली पाठकों में खासी लोकप्रिय है।,NA,‘‘मैं लोगों से मिलना पसन्द करता हूँ, विशेषकर अप्रिय लोगों से-उद्दंड, घमंडी, बनावटी, डींग हाँकने वाले, बडे़ लोगों के नाम लेनेवाले, पाखंडी-मैं उन्हें अपने बारे में बातें करने को उकसाता हूँ और वे बोलते चले जाते हैं। फिर उनकी स्थितियाँ बदलकर और थोड़ा-सा मिर्च-मसाला लगाकर उनकी कही बातों और किस्सों को कागज़ पर उतार देता हूँ। मुझे अपने बड़ा लेखक होने के बारे में कोई गलतफष्हमी नहीं; लेकिन मैं दूसरे लेखकों से अलग ज़रूर हूँ, क्योंकि मेरी कहानियाँ उनसे ज्श्यादा दुर्भावना व्यक्त करती हैं और अधिक मज़ेदार होती हैं। इस पुस्तक की कई कहानियाँ पचास साल से भी पहले लिखी गई थीं, लेकिन वे आज भी सार्थक हैं क्योंकि समाज में धोखाधड़ी उसी तरह चल रही है।’’-इस पुस्तक की भुमिका से,बोलेगी ना बुलबुल अब' खुशवंत सिंह के उपन्यास 'आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल' का अनुवाद है। समय है 1942-43 जब भारतीय क्रांतिकारियों का 'भारत छोड़ो' आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था। अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार, फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट सरदार बूटा सिंह अपने परिवार के साथ अमृतसर में रहते हैं और खबर है कि जल्दी ही सम्मान-सूची मे उनका नाम आने वाला है। लेकिन बूटा सिंह इस बात से बिलकुल बेखबर हैं कि उनका बेटा क्रांतिकारियों के एक गिरोह का नेता बन गया है और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने में लगा है। बूटा सिंह को जब यह बात पता चलती है तो मैं अपने बेटे को बेदखल कर देते हैं। भगवान में आस्था रखने वाली बूटा सिंह की पत्नी सभराई अपने वाहेगुरु से इस मुश्किल घड़ी का सामना करने के लिए अरदास करती है।