Bharat Ka Raag, America Ke Rang (India?United States relations) India & America Humour Book in Hindi(Hindi, Paperback, Joshi Hari Dr)
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एक दिन दुनिया के दोनों सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देशों में अपनी-अपनी महानता को लेकर बहस हो गई। अमेरिका कहने लगा, ‘‘बड़े-बड़े आतंकी मुझसे घबराते हैं। दुनिया मेरा लोहा मानती है। अतः मैं तुझसे बड़ा हूँ।’’ भारत ने अपनी मूँछ मरोड़ते हुए कहा, ‘‘मैं तेरे बड़प्पन को नहीं मानता। तू हमारे सामने टिकता कहाँ है? तू अपनी मूँछें मेरे सामने ऊँची भी मत रखना; हाँ, मैं भी तुझसे कम नहीं हूँ।’’‘‘मेरी नाक पर यदि पानी नहीं ठहरता तो इसमें गलत क्या है? मेरे आस-पास समुद्र लहरा रहा है। अतः पानीदार कौन हुआ—तू कि मैं? अच्छा यह भी बता, बड़ा जमींदार कौन है?’’‘‘मेरी सहायता के लिए भी हिंद महासागर, अरब सागर, खंबात की खाड़ी आदि खड़े हैं, मैं भी कम पानीदार नहीं हूँ। वैसे तुझे बता दूँ, राजे-रजवाड़ों-जमींदारों का समय चला गया है, वैश्विक स्तर पर सभ्यता बढ़ी है। अब एकतंत्र में या तानाशाही में किसी का विश्वास नहीं रहा।’’‘‘एकतंत्र में या तानाशाही में तो हमारा विश्वास भी नहीं है? हमारी भूमि पर भी चुनाव होते हैं। हम भी बुलेट में नहीं, बैलेट में भरोसा रखते हैं।’’ अमेरिका ने कहा।‘‘बुलेट का भय बताकर ही तो तू दुनिया पर अपना सिक्का जमाता और स्वयं को बड़ा बताता है। देश के प्रत्येक नागरिक को बैलट प्राप्त हो या नहीं, किंतु बुलेट अवश्य दे रखी है। वह भी एक नहीं, मशीनगन, स्टेनगन आदि कई-कई गोलियों से युक्त।’’ भारत ने कहा।प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. हरि जोशी का नवीनतम व्यंग्य उपन्यास, जिसमें अपनी चुटीली शैली में अमेरिका की दादागिरि और चौधराहट पर मारक चोट दी है और उसकी सारी हेठी हवा कर दी है।