Bharatiya Pariprekshya(Hindi, Paperback, Joshi Anil) | Zipri.in
Bharatiya Pariprekshya(Hindi, Paperback, Joshi Anil)

Bharatiya Pariprekshya(Hindi, Paperback, Joshi Anil)

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संकल्प’ संस्था सिविल सेवा के विद्यार्थियों में सामाजिक प्रतिबद्धता और समाज-परिवर्तन का दृष्टिकोण और भाव जाग्रत कर रही है। यह उसकी तीन दशक से ज्यादा की साधना है। इसके सूत्रधार श्री संतोष तनेजा हैं। यह तथ्य प्राय: ज्ञात है, परंतु साथ ही संकल्प संस्था वैचारिक यज्ञ भी कर रही है। इसी कड़ी में वर्ष 2015 से ‘संकल्प व्याख्यानमाला’ प्रारंभ हुई। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक बोध के लेखकों, चिंतकों और विचारकों के माध्यम से देश के प्रबुद्ध समाज में विचारशील लोगों तक एक विमर्श (डिस्कोर्स ) और आख्यान (नैरेटिव) को स्थापित करना था।इन व्याख्यानों का संकलन कर प्रकाशित किया जाए, यह विचार और सुझाव आदरणीय डॉ. कृष्ण गोपालजी का था। व्याख्यानमाला के इन कार्यक्रमों के आयोजन और इन महत्त्वपूर्ण विचारों की प्रस्तुति तथा प्रकाशन के प्रयत्नों को दिशा श्री संतोष तनेजा द्वारा दी गई। इसके लिए पहल एवं सतत प्रयत्न श्री राजेंद्र आर्य ने किया। यह पुस्तक वास्तव में उनके अथक प्रयासों का फल है।अनुक्रमश्रीराम जन्मभूमि और व्यापक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य — डॉ. कृष्ण गोपालराष्ट्रीय सुरक्षा : वर्तमान परिप्रेक्ष्य जम्मू-कश्मीर और धारा 370 — अमित शाहअद्वितीय प्रशासक थे छत्रपति शिवाजी महाराज — स्व. अनिल माधव दवेभारतीय संस्कृति के माध्यम से विश्व की चुनौतियों का समाधान — स्व. सुषमा स्वराजराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अल्पसंख्यकों के प्रति दृष्टिकोण — रमेश पतंगेसंस्कृति, अध्यात्म और प्रशासन — आदित्यनाथ योगीसामाजिक समरसता एवं भारत की संत परंपरा — डॉ. कृष्ण गोपालव्यावसायिक शिक्षा का माध्यम बनें भारतीय भाषाएँ — संतोष तनेजाहमने भारतीय भाषाओं को व्यावसायिक पाठ्यक्रम में लाने की पहल कर दी है — डॉ. अनिल सहस्रबुद्धेभारतीय भाषाओं के संबंध में चुनौतियां — अनिल जोशीविदेश नीति : भारत एवं पड़ोसी देश — विष्णु प्रकाशविकास के इस तथाकथित मॉडल पर प्रश्नचिन्ह हैं — डॉ. मुरली मनोहर जोशीनई शिक्षा नीति — डॉ. ओमप्रकाश कोहली