Da Lampatganj(Hindi, Paperback, Prasun Pankaj)
Quick Overview
Product Price Comparison
लिखने और दिखने वाले टू इन वन व्यंग्यकार। तीन किताबें प्रकाशित। व्यंग्य के 6 साझा संग्रहों में स्थान। आईनेक्स्ट, हिंदुस्तान आदि में कॉलम लेखन। नव भारत टाइम्स के साप्ताहिक व्यंग्य स्तम्भ ‘प्रसून के पंच’ से ख्याति। सब टीवी के ‘वाह-वाह क्या बात है’, कईटीवी चैनलों, आईआईटी, आईआईएम एवं लाल किले के मंच से व्यंग्यपाठ।उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से दो बार पुरस्कृत। पहले व्यंग्य संग्रह ‘जनहित में जारी’ के लिए ‘डॉ- रांगेय राधव पुरस्कार 2014’ एवं ‘परमाणु की छांव में’ के लिए ‘डॉ- केएन भाल पुरस्कार-2017’। उ-प्र- भाषा संस्थान का प्रथम पुरस्कार, साहित्य गौरव, साहित्य श्री, युवारत्न, आउटस्टैंडिंग यूथ एवार्ड, अस्तित्व एवार्ड सहित कई सम्मान। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान।एक ऐसा जिला, जहां चोर चोरी सिर्फ इसलिए करता है जिससे पुलिस विभाग को काम मिलता रहे। जहां लोग बीमार भी इसलिए होते हैं जिससे डॉक्टर की रोजी रोटी चलती रहे। ज्यादा पढ़ाई भी नहीं करते, जिससे देश की किसानी बची रहे। जहां के हाईस्कूल पास सबलयुवा दौड़ लगाकर फौज में भर्ती हो जाते हैं और एमए पास निर्बल बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करते हैं। इश्कबाजी की बात करें जो जवानी में ऽून उछाल मारता है तो बुढ़ापे में हार्माेन। जहां हर लंपटबाज भविष्य में ठरकीपन को प्राप्त होता है। जहां राजनीति में प्रेम भले नमिले लेकिन प्रेम में राजनीति ऽूब मिलेगी। तमाम तरह की विसंगतियों से लबरेज यह लंपटगंज आपको हिन्दुस्तान में कहीं भी मिल जाएगा।हास्य व्यंग्य से ओत-प्रोत लंपटगंज की 11 कहानियां आपको पढ़ने में आनंद देंगी, एक मीठी चुभन भी देंगी। आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी--