Dharmyuddh(Hindi, Hardcover, Desai Keshubhai) | Zipri.in
Dharmyuddh(Hindi, Hardcover, Desai Keshubhai)

Dharmyuddh(Hindi, Hardcover, Desai Keshubhai)

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धर्मयुद्ध - एक बार किसी ने गाँधीजी से पूछा, "आपको कौन-सी चिन्ता सबसे ज़्यादा सता रही है?"गाँधीजी ने कहा, "बुद्धिजीवियों की हृदय शून्यता।"हमारी यह हृदय-शून्यता गुजरात में यदा-कदा प्रकट होती रही है। साम्प्रदायिक हिंसा के तौर पर राजनीति से जुड़े लोगों के द्वारा संयुक्त रूप से किये गये साझा पाप के दाग़ हम सब के दामन पर भी लगे हुए हैं। इस पर प्रायश्चित करना तो दूर कुछ लोग तो इस पर गर्व महसूस कर रहे हैं।ऐसे विषम और भयावह समय में डॉ. केशुभाई देसाई ने 'धर्मयुद्ध' जैसा विशिष्ट उपन्यास लिखकर यथाशक्ति पाप-प्रक्षालन का पुनीत कार्य किया है। जिन्हें समाज हित से थोड़ा-बहुत भी सरोकार है ऐसे सहृदय पाठकों पर इस रचना के माध्यम से लेखक ने विशेष उपकार किया है।—नारायण देसाई