IAS Fail(Hindi, Paperback, Sinha Shwet Kumar)
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सिविल सेवा और मानव योनि की प्राप्ति चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद ही संभव है। अब रूपेश ने मानवजन्म तो पा लिया था, पर सिविल सेवा के लिए जरूरी क्रोमोसोम का कटऑफ पार नहीं कर पाया। ऐसा नहीं था कि उसमें काबिलीयत नहीं थी। सबसे बड़ी काबिलीयत तो यह थी कि वह बिहार से था। बिहारी सुनकर ही दिल्ली के मुखर्जी नगर वाले उसे ऐसे घूरते, जैसे वह जेब में आई.ए.एस./आई.पी.एस. वाला तमंचा लेकर घूम रहा हो और जिससे डरकर यू.पी.एस.सी. वाले सलाम ठोककर अपने ऑफिस का दरवाजा खोल देंगे। हो भी सकता है कि दो मर्तबा पीटी और मेंस पास करने के बाद इंटरव्यू बोर्ड ने उसके बिहारी होने पर एकाध नंबर बढ़ा दिया हो। पर यह सिविल सेवा का सफर है दोस्त ! चौरासी लाख योनियों में भटके बिना फलीभूत नहीं होता।पास-फेल की विरल रेखा पर बुना उपन्यास 'IAS फेल' हर उस महत्त्वाकांक्षी युवक-युवती की कहानी कहता है, जो मसूरी पर कूच करने का सपना सँजोए दिल्ली पर चढ़ाई करते हैं। मनोरंजक अंदाज में लिखी यह कहानी दृढ़संकल्प की शक्ति और भविष्य पर उनके विकल्पों के प्रभाव पर प्रकाश डालती है। बाधाओं और त्रासदियों का सामना करने के बावजूद पात्र दृढ़ रहते हैं और बेहतर भविष्य के लिए अपना रास्ता खोजते हैं। कहानी जाति के आधार पर सामाजिक असमानता और भेदभाव के विषयों को भी छूती है। कुल मिलाकर यह उपन्यास विपरीत परिस्थितियों में मानवीय भावना के लचीलेपन के बारे में एक उम्मीद को चित्रित करता है