Jeevan Ek Anand Alakhnanda(Paperback, Mahender Gupta)
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पुस्तक के बारे मेंप्रस्तुत पुस्तक अलकनंदा में मानवता और समाज के बारे में बताया है कि किस तरह हम किस तरह हम एक इंसान बनने रूपी जीवन यापन की गरिमा पल-पल पा सकते हैं। यदि पीड़ा से सीखकर बेहतर इंसान बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया से मुस्कुराकर आगे बढ़ना है तो हमें दूसरों की पीड़ा को महसूस कर सकने के लायक संवेदनशीलता लाने की तरफ बढ़ना होगा। यदि अपनी पीड़ा से बचना है तो दूसरों की पीड़ा यानि दर्द को समझना होगा। विनम्रता सहिष्णुता हमें अपने जीवन में सम्मिलित करने चाहिए, हमारा सबसे बड़ा शत्रु है क्रोध। परम पुरुष वही है जो किसी से घृणा न करे। हमें जीवन को सार्थक बनाने के लिये अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिये। विभिन्न वक्तव्य, संक्षिप्त लेख उक्तियों से मानवता और समाज में हमें किस तरह रहना चाहिये, आज हम जो कुछ भी करेंगे वही लौटकर हमारे पास आता है। माँ की शिक्षा से ही ईश्वर चन्द विद्यासागर ने अपनी माँ के तीन वचनाे की जगह तीस आभूषण रुपी कार्य किये। संसार में हमें कमल के फूल की तरह अनासक्त जीवन जीना चाहिये स्टीफन हॉकिंग ने कैसे अपनी लाइलाज बीमारी से जूझकर ये साबित कर दिया कि यदि व्यक्ति के अन्दर ज्वंलन्त इच्छा है तो वह सफलता के ऐसे मापदंड स्थापित करता है। लेखक का परिचयमहेन्द्र गुप्ता, पिता के 1952 में, कैराना, जि. श्शामली, उत्तर प्रदेश, से दिल्ली आने पर, कपड़ा फर्निशिंग फेबरिक्स बनाने का कार्य शुरु किया। बचपन में माता-पिता की शिक्षा, दिशा से प्रेरित एवं प्रभु की चैतन्यता से चेतन मन, वचन एवं कर्म से, स्कूल टॉप होते हुए, 18 साल की उम्र से व्यापार में लगकर अंतराष्ट्रीय टैक्नोलॉजी के 1988-89 में लगते हुए, 1998-2000 तक 70 देशों में एक्सपोर्ट होने के साथ-साथ जीवन आनन्दित होता गया। साइंस पढ़ी, हिन्दू कॉलेज, दिल्ली से, बी.कॉम (भ्) किया। 1980 में पत्नी कामिनी के आने से जीवन और सजने लगा। ईश्वर की अपार अनुकंपा से दो पुत्री एवं एक पुत्र का जन्म हुआ।उसके बाद ताने और बाने के विविध रंगों और धागों की विविधता से खूबसूरत डिजाइन, प्रतिदिन नये और नये, समय के साथ-साथ बनते गये। साथ-साथ अन्तर्दृष्टि और एकदा के प्रेरणादायक किस्सों ने जीवन को नई दिशा दी। फिलिंग के साथ-साथ ये रचनाएं एक रूप होकर इक्ट्ठी हो गईं और जीवन आनंदित होता गया। पुस्तक में जीवन के अनुभवों का समावेश है। विषय-सूची1. जीवन की सार्थकता2. अहिंसा का पहला पाठ3. सबसे उत्तम जल4. प्रेरक जीवन5. उत्साह का चमत्कार6. त्याग7. समर्पण8. धैर्य का फल9. सद्भावना से दिल जीतो10.बड़ा कौन?11.मदद12.अहंकार का अंत13.टांग की मरम्मत14.असंतोष15.प्रोत्साहन16.सही चिंतन17.रणजीत सिंह का पुरस्कार18.अहंकार19.गृहस्थी20.कर्म का फल21.उस बूढ़े का घड़ा22.कड़वी ककड़ी23.विवेक का प्रयोग24.उड़ गई उदासी25.उपकार का बदला26 कर्मयोग मानव को श्रेष्ठ बनाता हैः27.प्यार हो, प्यार का विस्तार हो28.पीड़ा से मिलता है सबक29.रास्ते होते नहीं कोई न कोई उसे बनाता है30.जीवन एक साहसिक अभियान है जिसमें हर पल स्वयं को गढ़ना है31.सादा बर्तन32.पंखे के पीछे चेहरा33.सफलता का राज34.सही गणना35.अवसर36.राजा और चित्रकार37.सच्चा मित्र कौन38.वह विचित्र गाँव39.हार या जीत40.राजा के सवाल41.राजा और अपराधी42.शांति और सुख की खोज43.संकल्प की शक्ति44.कौन बनेगा वारिस45.सुख की कमीज46.मदद का तरीका47.गाड़ी और पत्थर48.मालिक और गुलाम49.वह छोटी लड़की50.दूसरों के बारे में51.धैर्य52.शांति का रहस्य53.लक्ष्य से भटक जाता है54.श्रम का सुख55.विनम्रता56.सहनशीलता57.जीवन की सार्थकता58.छोटे-छोटे काम59.सदाचरण से सम्मान60.‘बेकार की चिंता’61.हक की रोटी62.कोई एक रास्ता63.माँ का प्यार64.होनहार उत्तराधिकारी65.बच्चे की ईमानदारी66.हंसी के सहारे हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है67.क्षमा जीवन को सुगम बनाती और दुर्घटनाओं से बचाती है68.निराशा के भंवर में फंसे मन को शांति व सुकून देता है कर्मयोग69.प्यार की पुचकार70.सोने जैसा जीवन71.राजा का सपना72.आज जो कुछ हम करेंगे वह सब कभी लौटकर आएगा हमारे पास73.गुलाब सा जीवन74.जीत की तरह हार को भी हम सहज स्वीकार करना सीख लें75.जीवन का आनंद लेना है तो वातावरण अनु कूल बनाएं76.हडबड़ी में लिया कोई भी निर्णय अनिष्ट का कारण बन सकता है77.गाँव के लोग78.जरूरत से ज्यादा ई मानदारी ठीक नहीः चाणक्य79.हर समस्या को हल कर सकता है प्यार80.अपनी समस्याओं का समाधान दूसरों से खोजने को क्यों कहें81.पहल करने वाले का जीवन सब के लिए प्रेरणादायक होता है