KHATRE MEIN DHARMNIRPEKSHTA By Ram Puniyani(Paperback, Hindi, Ram Puniyani)
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धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का बुनियादी मूल्य है। यद्यपि मूल संविधान में इसका जिक्र नहीं है, लेकिन इसके स्वभाव में मौजूद है। आरम्भ से ही धर्मनिरपेक्षता स्वतन्त्र भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रही है। फ्रांसीसी लेखक एंड्रे मेलरॉक्स के एक सवाल के जवाब में, पहले प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि ‘देश के सामने वर्तमान में दो सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। एक, न्यायपूर्ण साधनों द्वारा समतामूलक समाज का निर्माण करना और दूसरा, एक धार्मिक देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य का निर्माण करना।’ राष्ट्र निर्माण का एक उद्देश्य धर्मनिरपेक्षता को स्थापित करना था। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खत्म करने की सियासत के खिलाफ राम पुनियानी जी पिछले दो दशक से लगातार लिखते-बोलते रहे हैं। वह गांधीवादी और संवैधानिक मूल्यों के सजग प्रहरी हैं। यह किताब धर्मनिरपेक्षता पर बढ़ते खतरे से सम्बन्धित उनके लेखों का संकलन है। – इसी पुस्तक से