Kunba Novel Book(Paperback, Tarawati Saini ‘Neeraj’)
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खुदारी के पूर्वज सब जानते थे। इधर-से-उधर इस कुनबे से लेकर उस कुनबे तक बातों को पचाना इतना आसान नहीं होगा। इसलिए उन्होंने एक परंपरा बनाई। उसके अनुसार जो बेटा खुदारी के पद को सँभालेगा, उसे अपनी जीभ का एक छोटा सा हिस्सा अपनी कुलदेवी बारसी के चरणों में चढ़ाना पड़ेगा और सौगंध खानी होगी कि वह सभी कुनबों से समान रूप में व्यवहार करेगा। किसी भी कुनबे की बात दूसरे तीसरे कुनबे में नहीं कहेगा; जिस कुनबे में जाएगा, उसी कुनबे का होकर अपना काम करेगा और अगर कुछ गलत किया तो फिर उसे, उसके परिवार को और कुनबे को कुलदेवी बारसी के प्रकोप से कोई नहीं बचा पाएगा। यह बस ऐसे ही चलता आ रहा है। - इसी पुस्तक से 'कुनबा' सिर्फ एक उपन्यास नहीं, एक तपस्या है। हर पात्र, हर संवाद, हर लोकगाथा को लेखिका ने पूरी श्रद्धा और संवेदना के साथ रचा है। यह कथा उन आवाजों की है, जो अकसर गुजरते हुए समय के साथ सभ्यताओं के शोर में दब जाती हैं। यह उन लोगों की बात है, जिनके जीवन में पेड़, पहाड़, नदी, अग्नि और देवता केवल प्रतीक नहीं, सजीव शक्ति हैं। जनजातीय समाज की लोक-परंपराओं, मान्यताओं और जीवन-मूल्यों को रेखांकित करता पठनीय उपन्यास ।