Maa Main Collector Ban Gaya+Kahani Ek IAS Pareeksha Ki(Paperback, Hindi, Rajesh Patil/K. Vijayakathikeyan)
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अत्यंत अभावग्रस्त स्थितियों से जूझकर आकाश को छूने की उड़ान भरनेवाले संघर्षमय प्रवास को ‘माँ, मैं कलेक्टर बन गया’ पुस्तक का नायक भले ही राजेश पाटील है, परंतु वह अनगिनत अभावग्रस्त युवकों का प्रतिनिधित्व करता है। एक बाल मजदूर के रूप में निरंतर संर्घषरत रहकर उसने अपने सपनों को कुचला नहीं, उन्हें खोया नहीं, बल्कि उन्हें साकार करने के लिए अद्भुत जिजीविषा और अदम्य इच्छाशक्ति का प्रदर्शन कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाई और कलेक्टर बन गया। उसने अपने जैसे सैकड़ों-हजारों बालकों-युवकों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।सामाजिक विषमता तथा आर्थिक विवंचनाओं से त्रस्त हजारों युवकों की सृजनशीलता मिट्टी में मिल गई, परंतु कुछ होनहार पीड़ाग्रस्त युवक ऐसे भी निकले, जिन्होंने समस्त अभावों को मात देते हुए अपने सामर्थ्य को सिद्ध कर दिया और समाज में अच्छाई की भावना निर्मित कर दी। सामान्य लोगों के बीच से ही असामान्यता का जन्म होता है, जो आस-पास के समाज में ऊर्जा तथा लगन प्रदान करती है।यह पुस्तक हमारी ग्रामीण जनता की गरीबी, अभाव, शिक्षा के निम्न स्तर तथा संघर्ष का एक आईना है। जीवन में कुछ बनने, कुछ कर गुजरने के लिए प्रोत्साहित करनेवाली प्रेरणादायी पुस्तक।