Meet Ke geet(Hindi, Paperback, Dr. Ranjana Verma)
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काव्य के नौ रसों में श्रृंगार रस को रसराज कहा गया है। वास्तव में जीवन के समस्त कार्यकलाप, समस्त कामनाएँ, भावनाएँ श्रृंगार रस में ही समाहित हैं। फिर श्रृंगार का संयोग पक्ष हो या वियोग, दोनों का ही जीवन मे महत्वपूर्ण स्थान है। संयोग में यदि मिलन की मादकता है तो वियोग में विरह की कसक और मिलन की आतुरता। दोनों ही काव्य के लिये अनुपम उपादान प्रस्तुत करते हैं। कभी मीत से मिलन होने पर चारो ओर खुशियों के फूल बिखर उठते हैं तो कभी विरह से व्याकुल हृदय को प्रकृति विभिन्न रूपों में सांत्वना प्रदान करने लगती है और कभी मीत की स्मृतियाँ यादों की खूबसूरत वादियों में खींच ले जाती हैं।