Mera Bachpan Mere Kandhon Par(Paperback, Sheoraj Singh Bechain) | Zipri.in
Mera Bachpan Mere Kandhon Par(Paperback, Sheoraj Singh Bechain)

Mera Bachpan Mere Kandhon Par(Paperback, Sheoraj Singh Bechain)

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मेरा बचपन मेरे कन्धों पर - डॉ. श्योराज सिंह जी, आपकी आत्मकथा का अंश यहाँ एक मोची रहता था मैंने पढ़ लिया है। दर्द ही दर्द है, कष्ट ही कष्ट है। मुझे लगा है, आपके साथ ग़ालिब वाली बात घट गयी है। उस महाकवि की ग़ज़ल का एक शेर हैरंज से खूंगर हुआ ईसा तो मिट जाता है रंज मुश्किल मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गयीं। यह आपकी आत्मकथा पर पूरी तरह फ़बता है। मेरे ख़याल से, बचपन की सहजात शक्ति आप आज बड़े स्तर पर सुरक्षित और सँजो कर हुए हो... वर्णन में आप अपनी शैली में रहे हो। आपकी शैली दूसरे लेखकों से अलग पहचान की है। यह शान्त और ज़्यादा प्रभावकारी है... -डॉ. धर्मवीरसत्य के प्रति निष्ठावान डॉ. श्योराज सिंह बेचैन का यह अनुभव स्वतः ही दलितों के व्यापक अनुभवों से जुड़ गया है। यह दलितों की स्वानुभूति का जीवन्त इतिहास है। पढ़ना न भूले... -चन्द्रमान प्रसाद