Mere Anubhav Aur Itihas Ke Jharokhe Se Kashmir(Hindi, Paperback, Gaadiya Ashok Kumar)
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लेखक की आपबीती जम्मू-कश्मीर के उन बच्चों के जीवन की त्रासदी से जुड़ी है:: जो पहली बार भारत के विभिन्न राज्यों के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा पाने के लिए अपने घर-परिवार से अलग होने को तैयार हो गए थे। प्राचीनकाल से कश्मीर एक सुंदर:: रमणीय:: शांत भूमि एवं ऋषि- मुनियों की साधना स्थली थी:: जिसमें कमजोर और अयोग्य राजा आने लगे। उससे भ्रष्टाचार:: व्यभिचार और अत्याचार पहले तो राज दरबार:: फिर आम जनता में व्याप्त होने लगा:: जिसके कारण अव्यवस्था फैलने लगी; लोगों में डर:: असुरक्षा:: अंधविश्वास:: झूठ:: फरेब:: कुरीतियाँ:: पक्षपात:: ऊँच-नीच:: शोषण और स्त्रियों की दुर्दशा होने लगी।शेख अब्दुल्ला की सक्रिय राजनीति से लेकर पं. नेहरू और महाराजा हरि सिंह विवाद से उपजी समस्या से जनमानस सहित कश्मीर की दुर्गति दृष्टिगत है। चुनाव की राजनीति ने सरकारी मशीनरी द्वारा चुनाव परिणामों में जबरदस्त हेरा-फेरी और धाँधलियों ने सारी सीमाएँ तोड़ दीं:: जिससे लोग बहुत निराश हुए। 1971 ई. की लड़ाई में मिली हार से बौखलाए पाकिस्तान की साजिश से नब्बे के दशक से प्रारंभ हुई कश्मीर को अशांत करके भारत से बदला लेने की लंबी योजना। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में किए अभूतपूर्व निर्णयों से वहाँ के जनमानस में एक विश्वास जाग्रत् हुआ है:: वहाँ विकास की नई बयार बह रही है:: युवा और महिलाएँ बढ़-चढ़कर सकारात्मक सहयोग कर रहे हैं ।यह पुस्तक कश्मीर को इतिहास के झरोखे से वर्तमान परिप्रेक्ष्य का दिग्दर्शन करवाती है।