Milna, Meera Ki Tarah Poems Book In Hindi(Paperback, Bhagyesh Jha)
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किसी भी कवि की कसौटी उसके गीत होते हैं। सबकुछ अनायास व्यक्त हुआ है, भावक को ऐसी प्रतीति होनी चाहिए। भाग्येश झा के गीत इसकी प्रतीति कराते हैं। इसका कारण यह है कि वे किसी प्रवाह के दबाव में नहीं लिखे गए। डाल पर अचानक पक्षी बैठ जाए, इस तरह उन्हें गीत की पंक्ति मिलती है। वे सहज रूप से लिखते हैं, खींचतान करके संयोजन नहीं मिलाते। कुछ कवि लय पर आकर्षित हो जाते हैं या खो जाते हैं, परंतु यह कवि लय-तान को सँभालकर काव्य के अर्थ का पूर्ण जतन करता है। कभी ऐसा लगता है कि एकांत से बात करते हों, ऐसी लय ले आते हैं। 'मिलना मीरा की तरह' काव्य-संग्रह में उनकी लोकप्रिय रचनाएँ सम्मिलित हैं, जिसमें इन सारे भावों की प्रतीति होती है।- सुरेश दलाल, गुजरात के वरिष्ठ साहित्यकार