Mushar Samaj Ka Itihas Va Yogdan(Paperback, Basant Kumar)
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भगवान् राम की अनन्य भक्त माता शबरी का वंशज माना जानेवाला मुसहर समाज, जो आदिम जनजाति माना जाता रहा है, आज समाज में उपेक्षित और तिरस्कृत जीवन जी रहा है। आज इक्कीसवीं सदी के भारत में यह समाज और इनके बच्चे खेतों में, ईंट के भट्ठों पर मजदूरी करके अपना भरण-पोषण कर रहे हैं। स्कूल जाना इनके बच्चों के लिए दिवास्वप्न है।भारत सरकार की आवास योजना और घर-घर शौचालय योजनाएँ इनके लिए बेमानी हैं। कहने के लिए इन्हें संविधान में अनुसूचित जाति का दर्जा मिला हुआ है, पर शिक्षा और स्थायी आवास न होने के कारण डॉ. आंबेडकर का दिया हुआ आरक्षण इनके लिए अर्थहीन है। दुर्भाग्यवश इस समाज की इस दशा के विषय में कभी कुछ नहीं लिखा गया। इस उपेक्षित समाज की स्थिति को देश के सामने लाने के उद्देश्य से यह एक छोटा सा प्रयास है। मुसहर समाज की सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक स्थिति पर प्रकाश डालती एक जानकारीपरक कृति।