Nardiya Sanchar Neeti(Hindi, Paperback, Singh Jay Prakash) | Zipri.in
Nardiya Sanchar Neeti(Hindi, Paperback, Singh Jay Prakash)

Nardiya Sanchar Neeti(Hindi, Paperback, Singh Jay Prakash)

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संचार एक अस्तित्वगत आकांक्षा है। यह आकांक्षा पहचान और निर्णयों को गढ़ती है। इस कारण संचारीय प्रक्रिया मानव-नियति की सबसे बड़ी निर्धारक बन जाती है। समाज में संचार की सदैव से निर्णायक भूमिका रही है, लेकिन नए माध्यमों ने इसके प्रभाव को बहुगुणित कर दिया है। इससे नीति-निर्णयन पर राजनीति का एकाधिकार समाप्त हो गया है और संचार ने केंद्रीय भूमिका प्राह्रश्वत कर ली है। नीति-निर्णयन की प्रक्रिया अब संनीति (संचार+राजनीति) का विषय बन गई है।यह भी एक स्थापित तथ्य है कि संचारीय प्रक्रिया ही स्मृतियों और स्वह्रश्वनों का वह संसार रचती है, जिससे संस्कृति, समाज, परंपरा और राष्ट्र बनते-बिगड़ते हैं। यदि संचार पारिस्थितिकी को बदल दिया जाए तो किसी समुदाय की सामूहिक स्मृति को बदला जा सकता है और अंतत: इससे उस समुदाय के समाजबोध और राष्ट्रबोध को भी परिवर्तित किया जा सकता है।जीवन और समाज में संचार की ऐसी केंद्रीयता के बावजूद समकालीन संचार- अध्ययन प्राय: तकनीकी अथवा शाब्दिक संदर्भों में ही किए जाते हैं। इसके इतर, एक सभ्यता और एक राष्ट्र के रूप में भारत ने संचारीय-प्रक्रिया के संदर्भ में बहुआयामी और उदात्त चिंतन विकसित किया है। चरित्र एवं चिंतन में अद्वैत, शब्द ब्रह्म की संकल्पना इसके उदाहरण हैं। नवीन वैश्विक स्वपनो को देखने का अनुष्ठान कर रहे राष्ट्र के लिए यह पुस्तक संचारीय समिधा जैसी है।