Pratap Ki Sangharsh Gatha(Hindi, Paperback, Misra Ramesh)
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स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देनेवाले अनेक वीर सपूतों की कथा हमें पढ़ने को मिलती है, परंतु यह कथा एक ऐसे वीर पुरुष की है, जिसे 1942 से लेकर 1982 तक लड़ाई लड़नी पड़ी। पहले अंग्रेजों से और बाद में उस व्यवस्था और मानसिकता से जो अंग्रेज छोड़ गए।प्रयाग में जन्म लेनेवाला यह वीर 17 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद गया। 1942 से 1946 तक जेल में रहा, यातनाएँ सहीं पर हारा नहीं। स्वतंत्र भारत में किस प्रकार उसका उत्साह तथा सेवा की भावना कुंठित हुई, उसे विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा और किस प्रकार संघर्ष करते त्रासदी व विषाद में सन् 1982 में उसकी मृत्यु हुई, यही है प्रताप की संघर्ष-गाथा जो आपको यह सोचने के लिए विवश करेगी कि क्या यह भारत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों का भारत नहीं है? क्या हमारा स्वतंत्रता संग्राम अधूरा रह गया?सन् 1942 में हम क्या थे, 1982 तक क्या हुए और आज हम कहाँ पहुँच गए, इस पर चिंतन कर भविष्य के भारत का निर्माण करना प्रत्येक भारतवासी का उत्तरदायित्व है।