Pratyakshvad(Hindi, Hardcover, Singh Kumar Mithilesh Prasad)
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प्रत्यक्षवाद - यह सुपरिचित कथाकार कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह की नवीनतम कृति है। इनकी कहानियाँ आम बोली भाषा में ग्रामीण जन-जीवन और साधारण मनुष्य के जीवन में घट रही घटनाओं को बहुत ही सादग़ी के साथ प्रस्तुत करती हैं। पाठक इन कहानियों से ख़ुद को हमेशा जुड़ा पाता है। इन कहानियों को पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे कथाकार ने इन कथा बिम्बों को हमारे जीवन से निकाल कर पन्नों पर रख दिया हो । इन कहानियों में भाषा की ख़ूबसूरती, बोली का अपनापन, परिवेश का सुन्दर चित्रण पूरे भाव के साथ उभर कर आते हैं। सही अर्थों में कथाकार की यही सफलता होती है।मिट्टी से जुड़े कथाकार की यही विशेषता उन्हें समकालीन कथाकारों में एक अलग भाव-भूमि में ला खड़ा करती है। इस संग्रह में उनकी बारह महत्त्वपूर्ण कहानियाँ संकलित हैं। आम जन-जीवन से जुड़ी ये कहानियाँ निश्चय ही आपको अपनापन का आभास करायेंगी साथ ही उस मिट्टी की भी याद दिलायेंगी जो कहीं न कहीं हमारे अन्दर जीवित है। जीवन की आपाधापी के बीच यह संग्रह अपने पाठकों को ज़रूर ही मानसिक शीतलता प्रदान करेगा।सर्वथा एक पठनीय व संग्रहणीय कृति ।