Purushottam Parashuram(Paperback, Hindi, Pt. Vijay Shankar Mehta) | Zipri.in
Purushottam Parashuram(Paperback, Hindi, Pt. Vijay Shankar Mehta)

Purushottam Parashuram(Paperback, Hindi, Pt. Vijay Shankar Mehta)

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पृथ्वी पर जब-जब अधर्म ने अपना अधिक प्रभाव दिखाया, तब-तब कुछ दिव्यात्माओं ने अपनी लीला दिखाई। भगवान् विष्णु के दस अवतारों में भगवान् परशुराम को भी एक माना जाता है। वे महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। राजा कार्तवीर्य, जिसे सहस्रार्जुन भी कहा गया है, ने एक बार जमदग्निजी के आश्रम पर आक्रमण करके कामधेनु गाय का अपहरण किया। परशुरामजी ने सहस्रार्जुन से युद्ध किया और दंड-स्वरूप उसका वध कर दिया। सहस्रार्जुन के पुत्रों ने परशुरामजी की अनुपस्थिति में आश्रम पर आक्रमण कर उनके पिता जमदग्निजी की हत्या कर दी थी। इस विराट् व्यक्तित्व पर यह नाटक इसीलिए तैयार किया जा रहा है कि उनके उद्देश्यों को हम आज भी अपने निजी, पारिवारिक और राष्ट्रीय जीवन में उतार सकें। प्रयास यही किया गया है कि इनके चरित्र से संबंधित घटनाएँ शास्त्रों के आधार पर प्रामाणिक रहें। किंतु अलग-अलग शास्त्रों और साहित्य में घटनाओं के वर्णन में भिन्नता है। यह नाट्य-साहित्य केवल शोध की दृष्टि से तैयार नहीं किया गया है वरन् इसका उद्देश्य है, परशुरामजी के अद्भुत व्यक्तित्व को आज के हमारे जीवन से जोड़ना। पुरुषोत्तम परशुराम के अनुपमेय जीवन का सांगोपांग दर्शन कराती पठनीय पुस्तक।