Rashtrasevika Maa Ahilyabai Holkar(Hindi, Paperback, Maheshwari Nikhilesh)
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अहिल्याबाई होल्कर ने विपरीत परिस्थितियों में मालवा के शासन तंत्र की बागडोर अपने हाथ में सँभाली थी। अपनी मजबूत प्रशासनिक क्षमता, सादगी, धार्मिक कार्य और सांस्कृतिक मूल्यों पर दृढ़ रहकर उन्होंने भारत के 'स्व' के आधार पर अपनी राज-व्यवस्था को खड़ा किया था। अहिल्याबाई ने भारत के 'स्व' को जाग्रत् कर घोर अंधकार में अपने राज्य को एक प्रकाश-पुंज के रूप में तैयार किया था, जो कि सबके लिए प्रेरणा बन गया। देवी अहिल्याबाई होल्कर के कार्य, उनकी कार्यशैली के साथ ही एक सामान्य किसान की बेटी से मालवा की महारानी बनने की जीवनयात्रा अद्भुत और प्रेरणादायी है।उनका बचपन, उनकी बुद्धिमत्ता, सच्चरित्रता, जिज्ञासु स्वभाव, साहस, धैर्य, विनयशीलता, निर्भीकता और रूढ़िवादिता के विरुद्ध सृजनात्मकता जैसे गुण उन्हें एक देवी और लोकमाता के रूप में प्रसिद्धि दिलाते हैं। अपनी प्रजा और धर्म के लिए किए गए कार्यों के कारण लोग उन्हें अपनी स्मृति में आज भी सहेजे हुए हैं। वास्तव में उनके सामाजिक कार्यों के कारण ही उन्हें पुण्यश्लोका अहिल्याबाई कहा गया है। इस पुस्तक में देवी अहिल्याबाई के जीवन के विविध कार्य और जीवन-प्रसंगों को बताने का प्रयास किया गया है। अत्यंत प्रेरक एवं पठनीय पुस्तक ।