Sanatan Sang Bharat(Paperback, Shri Ashwini Kumar Choubey, Shri Kumar Sushant)
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‘सनातन संग भारत...’ यह एक ऐसा विषय था, जब इसकी असली परीक्षा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान होनी थी। इस आलेख का उद्देश्य किसी राजनीतिक परिदृश्य की ओर ले जाना नहीं, बल्कि यह बताना है कि आज का भारत सनातन और सनातनी व्यवस्था को मानने वाले राजनीतिक दलों के साथ खड़ा है। गत छह दशक में यह पहली बार हुआ कि कोई प्रधानमंत्री लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटा है।1962 के बाद कि सी प्रधानमंत्री को पहली बार तीसरा कार्यकाल मिला है। वर्ष 2014 से चल रही एन.डी.ए. नेतृत्व की केंद्र सरकार के दो टर्म पूरा करने के बावजूद वर्ष 2024 में एन.डी.ए. को जनता ने पूर्ण समर्थन दिया, तो वहीं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 240 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में पुनः उभरी। फिर से कह दें कि यह तब था, जब दस वर्ष की केंद्र सरकार का टर्म पूरा हो चुका था। अमूमन इतने समय में सत्ता विरोधी लहर उठनी शुरू हो जाती है, सरकार पर कई तरह से आरोप लग चुके होते हैं, जनता परिवर्तन का मन बनाने लगती है।सरकार बदल दी जाती है; विशेषकर संचार के इस युग में, जहाँ एक क्लिक मात्र से व्यक्ति लोकप्रिय और बदनामी के दायरे में आ जाता है, वहाँ बेदाग होकर सरकार चला लेना और फिर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना लेना, यह सनातन के संस्कार की ताकत है। इस जनादेश ने बता दिया कि आज देश सनातन के विषय पर कोई समझौता नहीं करेगा। देश सनातन के साथ खड़ा है। एन.डी.ए. के घटक दल यह मानने लगे कि भारत में राजनीति करनी है तो सनातनी सोच और कार्य-पद्धति को मन-मस्तिष्क में रखना होगा।