Sangh Darshan(Hindi, Paperback, Tiwary Surendra Nath)
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भारतवर्ष को सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठापित करने के अभियान में सतत कर्मशील राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सपना माँ भारती को परमवैभव पर पहुँचाना है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रारंभ से लेकर इसके इतिहास और विकास की कहानी बड़ी ही रोमांचकारी है, जो मन में देशभक्ति, राष्ट्रीयता, त्याग, निष्ठा की तरंगें प्रवाहित करती है। जिस संघ की पहली शाखा संघ प्रणेता डॉ. हेडगेवार के नेतृत्व में मात्र पाँच बालकों से शुरू हुई थी, आज वह दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक संगठन का आकार ले चुका है।समाज-जीवन का कोई ऐसा आयाम नहीं है, जिसमें संघ की व्याप्ति नहीं है। हर क्षेत्र में कोटि-कोटि राष्ट्रनिष्ठ स्वयंसेवक समर्पित भाव से समाजोत्थान के कार्य में संलग्न हैं। आज शहरों से लेकर कस्बों तथा गाँवों में भी शाखाएँ समाज में हिंदू संगठन और राष्ट्रभाव जाग्रत् करने का और व्यक्ति- निर्माण करने की प्रेरणा दे रही हैं। देश भर में लगने वाली शाखाओं में लाखों प्रचारक एवं पूर्णकालिक कार्यकर्ता लोगों के बीच देशप्रेम, देशभक्ति, त्याग-समर्पण और शोषित वंचितों के उत्थान व कल्याण हेतु समर्पित हैं।'मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित' तथा 'राष्ट्र सर्वोपरि' का मूलमंत्र समाज में प्रसारित कर भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक पुनरुत्थान का पथ प्रशस्त करने वाले संगठन 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' को जानने-समझने की अंतर्दृष्टि प्रदान करने वाली अत्यंत प्रेरक व पठनीय पुस्तक।