Working Women's Hostel Aur Anya Kavitayen(Hindi, Hardcover, unknown)
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वर्किंग विनेंस हॉस्टल और अन्य कविताएँ -अनामिका को जिन्होंने जाना, उन्हें मालूम है कि उनकी आत्मीय गर्माहट में पगी मुस्कान के पीछे समृद्ध बौद्धिक चेतना और सशक्त संस्कारवान भाषा है। उनकी टोकरी में दिगन्त है, उसे कोई सहज मुस्कुराती स्वप्निल आँखों वाली स्त्री की साधारण टोकरी न समझ ले। लोगों ने बेशक ऐसा समझा होगा। 'स्त्रियाँ' कविता में ही देखिए : “... सुनो, हमें अनहद की तरह / और समझो जैसे समझी जाती है / नयी-नयी सीखी हुई भाषा।/ इतना सुनना था कि अधर में लटकती हुई /एक अदृश्य टहनी से /टिड्डियाँ उड़ीं और रंगीन अफ़वाहें/ चीख़ती हुई चीं-चीं / दुश्चरित्र महिलाएँ, दुश्चरित्र महिलाएँ-/किन्हीं सरपरस्तों के दम पर फूली फैलीं/ अगरधत्त जंगल लताएँ ! ...” स्त्री-विमर्श के दौर में एक प्रतिष्ठित स्त्री लेखिका की ऐसी टिप्पणी यथास्थिति की परतें उघाड़ देती है। और 'अगरधत्त' शब्द की व्यंजना समझ में भले न आये, अर्थ अभी देखना होगा। जाने कहाँ-कहाँ से समृद्ध करते शब्द हैं अनामिका के पास। उनकी मुस्कान की तरह रहस्यमय! -अलका सरावगी