आध्यात्मिक क्रांति के बढ़ते कदम (Aadhyaatmik kraanti ke badhate kadam)(Paperback, डॉ अक्षयबर सिंह (Dr. Akshaibar Singh)) | Zipri.in
आध्यात्मिक क्रांति के बढ़ते कदम (Aadhyaatmik kraanti ke badhate kadam)(Paperback, डॉ अक्षयबर सिंह (Dr. Akshaibar Singh))

आध्यात्मिक क्रांति के बढ़ते कदम (Aadhyaatmik kraanti ke badhate kadam)(Paperback, डॉ अक्षयबर सिंह (Dr. Akshaibar Singh))

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इस पुस्तक में महात्मा यशपाल जी ‘गृहस्थ जीवन में अध्यात्म’ प्रयोगों का संक्षिप्त विवरण तथा साधन पद्धति के कुछ गृहस्थ साधकों के जीवन यात्र के अनुभवों का संकलन है, जिसे लेखक ने अध्यात्म विकास में एक क्रांति माना है। एक साधक अपने अनुभव से ‘आनन्द योग’ साधन-पद्धति पर लिखते है ‘आनन्द-योग‘, आनन्दपूर्वक जीवन जीने की शिक्षा देता है। हमारा जीवन योग-युक्त होकर कैसे दिनचर्या के सभी कामों में आनन्द का अनुभव करे तथा कर्म बोझ न बन सकें। ऐसी जीवन पद्धति का नाम ‘आनन्द-योग है’, जीवन में कैसे विषय वासनाओं के आनन्द को शुद्ध आनन्द में बदला जाय, इसी सुलभ, सरल, सहज पद्धति का नाम है आनन्द-योग। हम स्वान्तः सुखाय के लिए जो काम करते हैं वह भी आनन्द योग हैं। ‘आवश्यकता है शोध, चिन्तन तथा मानव मन की समझ बढ़ाने की’ । लेखक का मानना है कि पाठक बन्धु इस पुस्तक से अपनी जीवन यात्रा के अनुभवों का सकारात्मक विश्लेषण करते हुए लाभान्वित होंगें। डॉ- अक्षयबर सिंह का जन्म ग्राम व पोस्ट बभनगवाँ, जिला सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश), 1 जुलाई 1943 को एक आध्यात्मिक परिवेश के कृषक परिवार में हुआ। शिक्षा स्थानीय ग्रामीण स्कूल सरैया मझौवा से प्रारंभ हो सुल्तानपुर, इलाहाबाद, आई-आई-टी खड़गपुर व विधानचंद कृषि विश्वविद्यालय कल्याणी (पश्चिम बंगाल) से हुई। डॉ- सिंह का सेवाकाल उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग में वर्ष 1968 से राजपत्रित अधिकारी के पद से प्रारंभ हुआ। आप ने वर्ष 1970 से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के रिसर्च संस्थानों (Central Soil and Water Conservation, Research and Training Institute, Dehradun, ICAR Research Complex for North Eastern Region, Shillong and IndianAgricultural Research Institute, New Delhi) में वैज्ञानिक के पद पर कार्य करते हुए 2003 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के ‘जल तकनीकी केंद्र’ प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। कार्यकाल के दौरान आपको चार राष्ट्रीय स्तर के एवार्ड एवं नार्थ ईस्ट में किए गए कार्य (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) पर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिले। आपका संपर्क 1979 में गृहस्थ हिन्दू सूफी संत महात्मा श्री यशपाल जी (भाई साहब) महाराज से हुआ और तब से इस विषय में अनुभव आधारित, व्यवहारिक आध्यात्मिक ज्ञान का संकलन, विश्लेषण तथा शोध करते रहे। सूफी संतों का मानना रहा है कि मानव समस्