Awadhi Lok Wangmaya Mein Ramkatha - 4(Hindi, Hardcover, Dixit Suryaparasad)
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अवध क्षेत्र में दीर्घकाल से जनसाधारण को कण-कण में राम विद्यमान दिखते आ रहे हैं। लोग जब परस्पर अभिवादन करते हैं तो 'जयराम जी की', 'राम-राम', 'श्रीराम' आदि कहकर 'राम जुहार' करते हैं। इधर 'जय श्रीराम' कहकर अपना ओज-उत्साह प्रदर्शित कर रहे हैं। कभी-कभी 'राम-राम' कहकर ग्लानि और घृणा का भाव प्रकट करते हैं। विदाई के समय 'जयराम जी की' कहते हैं। शव यात्रा में 'राम नाम सत्य है' का लोग सामूहिक उच्चार करते हैं। नाप-तोल करते हुए पहली खेप के साथ 'एक' न कहकर तोलक बया व्यापारी कहते हैं-'राम'। कुएँ से पानी निकालते हुए पहली खेप के साथ कहा जाता था- 'राम लाये' । कुल मिलाकर आत्माराम, सबका मालिक राम । अवध संस्कृति में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि कहीं अहंता और कर्त्तापन का बोध न होने पाये। अवधी की भाषिक संस्कृति में इसीलिए 'मैं' की जगह प्रायः 'हम' का प्रयोग होता है।