Baaten(Hindi, Hardcover, Rai Barmeshwar) | Zipri.in
Baaten(Hindi, Hardcover, Rai Barmeshwar)

Baaten(Hindi, Hardcover, Rai Barmeshwar)

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आपके दस्तरखान पर तो परोसी भी नहीं जाती, फिर भी हमारी सूखी रोटी, क्यूँ हमेशा छीनी जाती है.. ज़मीन से जुड़े इन्सान की एक ज़मीनी कृति जब ठण्डी सर्द रातों में, कम्बल खिसकने से नींद टूट जाती है, तब माँ बहुत याद आती है.... ममता का सरल, सटीक विवरण हर सुबह तेरे ख़त हौले से खोलता हूँ, जब मन्दिर में भजन और, मस्जिद में अज़ान होती है.... पड़कर ऐसा लगता है कि यह कवि, मुझे कैसे जानता है।