Ghat Ramayan: (Tulsi Sahib Haathras Waale)(Hardcover, Hindi, Tulsi Sahib Haathras Waale)
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संत तुलसी साहब कृत ‘घट रामायण’ 19वीं सदी की वह अद्भुत कृति है, जो एक बार पुनः उस युग में व्याप्त सम्पूर्ण धार्मिक आडम्बरों को पूरी प्रतिबद्धता के साथ विनष्ट करके पाठकों में परम तत्व के ज्ञान के प्रति नई समझ उत्पन्न करती है। सन्त मत की सैद्धान्तिक साधना के गूढ़़ मर्म में प्रवेश करके उससे सम्बद्ध रहस्यों की व्याख्या यहां तार्किक, स्पष्ट, मर्मस्पर्शी तथा बोधगम्य बनाकर समझाना इस कृति का मूल मन्तव्य है। संत मत के रहस्यपूर्ण तथा अत्यन्त गम्भीर विषय पिंड में समग्र ब्रां̃ंड का खुला तथा मर्मस्पर्शी विवेचन इस रचना का विषय है किन्तु उसी के साथ-ही-साथ लोक मंे व्याप्त धार्मिक आडम्बरों के विविध पक्षों का तर्कपूर्ण खण्डन यह स्पष्ट करता है कि यह कृति केवल सिद्धान्त पक्ष ही नहीं, लोक को उसका वास्तविक ज्ञान कराने के लिए उसके व्यवहार पक्ष पर भी बल देती है। यह कृति अपने समसामयिक युग ही नहीं वर्तमान समाज के लिए भी ज्ञान का वह प्रकाश है, जो धर्म, जीवन, उपासना एवं आध्यात्मिक साधनामार्ग पर भटक रहे हम भारतीयों के लिए सन्मार्ग दिखाने के प्रति संकल्पबद्ध है। यह कृति इस अर्थ में आज आध्यात्मिक ज्ञानमार्ग की अप्रतिम उपलब्धि है क्योंकि आडम्बर, अंधविश्वास तथा समाज में धार्मिक आचरण के नाम पर भटकते हुए समाज को सर्वथा विश्वास, आत्मबोध एवं प्रपंचों से मुक्त होने की समझ देती है। आध्यात्मिक साधना तथा भारतीय धार्मिक लोकजीवन की रचना का अद्भुत समन्वय से सम्पृं̈ यह कृति आज न केवल भारतीय अध्यात्मक परम्परा की एक गम्भीर साक्ष्य है, अपितु समाज के लिए मार्ग दर्शन का भी कार्य करती है। आशा है, धार्मिक मान्यताओं से टूटे हुए तथा आडम्बरपूर्ण आचरण में संसं̈ वर्तमान भारतीय समाज के लिए यह कृति स्वयं में एक सिद्धिदात्री ज्ञानलोकमयी प्रकाश प्रतिमा सिद्ध होगी |