Indradhanush Aur Anya Kahaniyan(Hardcover, Jagannath Prasad Das)
      
      
 
 
 
    
 
        
     
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  भाग साहित्याकाश में जगन्नाथ प्रसाद दास की अपनी व्याप्ति है। एक लेखक, कवि, नाटककार, उपन्यासकार, चित्रकार, कलामर्मज्ञ, अभिनेता और आंदोलकारी या कहें कि जागरूक नागरिक के रूप में पिछले पाँच से भी अधिक दशक से वे देश के सृजनात्मक, साहित्यिक परिदृश्य पर छाए रहे । 'इंद्रधनुष और अन्य कहानियाँ' दास की रचनाओं का अनूठा संकलन है । हिंदी-जगत् के लिए ओड़िया-हिंदी की सुधी अनुवादक सुजाता शिवेन का नाम अनजाना नहीं है। संकलन में कुल 11 कहानियाँ शामिल हैं। मानवीय संबंध इनका मूल है, तो समय, समाज और परिस्थितियाँ इनकी वाहक ।इन कहानियों की विशेषता यह भी है कि ये नैदानिक और अलग-अलग विवरणों से शुरू होती हैं, लेकिन किसी बिंदु पर अनजाने उनका मूड बदल जाता है और वे पाठक को एक अज्ञात क्षेत्र में ले जाती हैं, जहाँ अनसुलझे रिश्तों और रहस्यों की छाया में पाठक खुद को खोजता है । इन कहानियों के पात्र एक-दूसरे में सूक्ष्म रूप से चरणबद्ध हैं। इन कहानियों की एक विशेषता- विस्तार की धीमी, पर जान-बूझकर की गई वृद्धि है, जो पाठक को बेदम और अधीर बनाने के लिए पर्याप्त है। अपने अनूठे शिल्प और कथानक के साथ ये पाठकों को अपरिहार्य चरमोत्कर्ष पर ले जाती हैं, जिससे वह कहानी-दर-कहानी राहत तो पाता है, पर अंतत: अतृप्त रह दूसरी कहानी की ओर आगे बढ़ जाता है।