Jainendra Kumar - Vivah Prem Aur Naitikta(Hindi, Hardcover, Jain Mahendra Raja)
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जैनेन्द्र कुमार : विवाह, प्रेम और नैतिकता - मीडिया और टेलीविज़न ने 'विवाह', 'प्रेम' और 'नैतिकता'—इन तीन शब्दों को आज इतना अधिक चर्चित बना दिया है कि कभी-कभी न चाहते हुए भी लोगों की बातचीत में ये शब्द अनायास आ ही जाते हैं और जब जैनेन्द्र कुमार की बात हो तब तो किसी न किसी रूप में इनकी चर्चा होना ही है। वस्तुत: जैनेन्द्र कुमार ने इन तीनों के विषय में इतना अधिक लिखा है कि इन तीनों शब्दों की तो बात ही क्या, इनमें से किसी भी एक शब्द को जैनेन्द्र कुमार के सन्दर्भ से अलग नहीं किया जा सकता। इन तीनों पर एक साथ और अलग-अलग कई शोध ग्रन्थ भी लिखे जा सकते हैं। 'विवाह', 'प्रेम' और 'नैतिकता' पर जैनेन्द्र कुमार के विचारों और सूक्तियों का यह संकलन जैनेन्द्र के अध्ययेताओं के साथ ही जैनेन्द्र के साहित्य में थोड़ी भी रुचि रखनेवालों के लिए भी उपयोगी होगा।जैनेन्द्र कुमार ने इतने अधिक विषयों पर और इतने विस्तार से लिखा है कि किसी भी विषय पर जैनेन्द्र को ठीक से समझने के लिए इस प्रकार के सन्दर्भ ग्रन्थ की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। सामान्य पाठक के लिए भी रोचक और मनोरंजक इस पुस्तक में 'विवाह', 'प्रेम' और 'नैतिकता' के सम्बन्ध में लगभग 300 विषय शीर्षकों के अन्तर्गत जैनेन्द्र कुमार के विचारों का निचोड़ रख दिया गया है। यह शोध ग्रन्थ ही नहीं 'काफ़ी टेबिल बुक' भी है, जो बुक शेल्फ़ ही नहीं किसी भी ड्राइंग रूम की भी शोभा बढ़ायेगी। आशा है शोधार्थियों के साथ ही सामान्य पाठकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी इस पुस्तक का पुस्तक जगत में स्वागत होगा।