Jana Gana Mana Adhinayaka Bharata Bhagya Bidhata(Paperback, Kripa Sindhu Mitra)
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‘जन गण मन अधिनायक भारत भाग्य विधाता’, पुस्तक का नाम यह क्यों रखा गया! क्योंकि नाकारात्मक भाव को साकारात्मक भाव में परिवर्तन करना है। हमलोग जानते है कि यह गाना जर्ज पंचम के स्वागत समारोह में गाया गया था। इसिलिए यह गाने से हमको पराधीनता की स्मृति आते है, यही चाहते थे जर्ज पंचम भी। पर हमे उनकी अन्यायपूर्ण चाहत को पूर्ण नहीं होने देना है। अंग्रेजो के घोर विरोधि, परम शत्रु, स्वाधीनता प्रेमी, मानव दरदी, राष्ट्रभक्त, क्रान्तीकारियों का स्वप्नों की मूर्त विग्रह, भारतवासियों का हृदय के नेता नेताजी सुभाष चन्द्र वोस के सामने ही इस गाने को गाने से यथायोग्य व्यवहार होता है। इस से गाने का, गायोको का, गाने की निर्माता का और जिनके लिए गाया जायगा उनका भी सन्मान करना होता है और सवका स्वाभिमान का भी रक्षा होता है। स्तुति हमेशा श्रेष्ठ एवं योग्य अधिकारी के लिए ही होना चाहिए। नेताजी सुभाष चन्द्र वोस को इस गाने का निर्माता स्वयं विश्वकवि रविन्द्र नाथ टागोर ने भी ‘देश नायक’ के रुप में देखना चाहता था। भारतीय स्वाधिनता संग्राम का युगपुरुष नेताजी के वारे में हम सभी भारतवासियों को यथार्त रुप में जानकारी देने के लिए ही इस पुस्तक का लिखना समय का ही मांग है। हम हमारे सत्य इतिहास को जानना वहुति आवश्यक है, इससे स्वाभिमान एवं राष्ट्र का रक्षा होता है। तव ही हम जान पायेंगे हमारे ‘जन गण मन अधिनायक एवं भारत भाग्य विधाता’ कौन हो सकता है। इसिलिए इस अमूल्य ग्रन्थ को भारतवासियों को पढ़ना चाहिए।