Karwa Chauth Ganesh Chauth Vrat Katha(Hardcover, Hindi, Randhir Parkashan Mandir)
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करवा चौथ और गणेश चतुर्थी दोनों के लिए अलग-अलग व्रत कथाएँ हैं; करवा चौथ की कथा में एक साहूकार की बेटी की कहानी है, जिसे भाइयों की चालाकी से चांद निकलने से पहले ही व्रत तोड़ने की कोशिश की जाती है, जिसके बाद उसका पति बीमार हो जाता है और गणेशजी की कृपा से ही ठीक होता है। गणेश चतुर्थी की कथा में एक गरीब बुढ़िया की कहानी है, जिसकी गणेश जी की पूजा से प्रसन्न होकर उसकी इच्छा पूरी करते हैं, और यह कथा करवा चौथ के दिन भी पढ़ी जाती है। करवा चौथ व्रत कथाबहुत समय पहले एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। करवा चौथ के दिन, साहूकार की बेटी और उसकी भाभियों ने व्रत रखा। शाम को जब सब खाने बैठे तो साहूकार की बेटी भूखी थी। सभी भाइयों ने मिलकर एक चाल चली और नगर के बाहर आग जला दी। आग की रोशनी को देखकर उन्होंने अपनी बहन से कहा कि चांद निकल आया है, और उसने व्रत खोलकर भोजन कर लिया। व्रत भंग होने का प्रभावबहन के व्रत भंग होने के कारण गणेश जी अप्रसन्न हो गए और साहूकार की बेटी के पति की मृत्यु हो गई। बेटी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने फिर से विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत किया। करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसके पति को पुनर्जीवन मिला। Ganesh Ji ki Katha (गणेश जी की कथा)एक गरीब बुढ़िया थी जो गणेश जी की पूजा करती थी। गणेश जी उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उससे वर मांगने को कहा। बुढ़िया ने अपनी गरीबी और अंधापन दूर करने का वर मांगा। गणेश जी ने बुढ़िया को खीर बनाने का वरदान दिया, जिससे उसका घर धन-धान्य से भर गया और उसकी आंखें भी ठीक हो गईं। करवा चौथ पर गणेश कथा का महत्वकरवा चौथ के दिन, गणेश जी की इस कथा का पाठ करने का भी महत्व है। यह कथा न केवल करवा चौथ का फल देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।