Lifafe Mein Kavita(Hardcover, Hindi, Shri Arvind Tiwari) | Zipri.in
Lifafe Mein Kavita(Hardcover, Hindi, Shri Arvind Tiwari)

Lifafe Mein Kavita(Hardcover, Hindi, Shri Arvind Tiwari)

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कवि-सम्मेलनों का ग्लैमर किसी से छुपा नहीं है। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कवि-सम्मेलन शुरू हुए थे। स्वतंत्रता संग्राम में कवि-सम्मेलनों की महती भूमिका रही है। हिंदी के प्रति इतना अनुराग था कि बड़े-बड़े कवि कवि-सम्मेलनों में निःशुल्क कविता पाठ करते थे। त्याग की विरासत वाले कवि-सम्मेलन अब एक उद्योग का रूप धारण कर चुके हैं। इस विषय पर अभी तक कोई उपन्यास नहीं लिखा गया। लिफाफे में कविता पहला उपन्यास है, जो व्यंग्य के जरिए कवि-सम्मेलनों की पड़ताल करता है।आज कवि-सम्मेलनों में कविता के नाम पर चुटकुले पढ़े जाते हैं। साहित्यिक कविताओं का कमरा बंद हो गया है। कवि-सम्मेलन लाफ्टर कार्यक्रमों का पर्याय हो गए हैं। धन-लिप्सा और यश-लिप्सा ने कवि-सम्मेलन को भोंड़ी शक्ल में तब्दील कर दिया हैं। बड़े मंचीय कवियों की खड़ाऊँ उठाकर कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है। फिल्मों में ही नहीं, कवि-सम्मेलनों में भी कवयित्रियों को कास्टिंग काऊच का शिकार होना पड़ता है। इस उपन्यास का कथानक यथार्थ के इतना करीब है कि पाठक को लगता है यह चित्रण तो उसके देखे-सुने हुए कवि का है।