Panch Parivartan: Rashtrotthan Ki Sangh Drishti(Paperback, Shivesh Pratap)
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पुस्तक 'पंच परिवर्तन : राष्ट्रोत्थान की संघ दृष्टि' आधुनिक भारत की आकांक्षाओं और भारतीय चिंतन की शाश्वत धारा के बीच सेतु का कार्य करती है। यह स्पष्ट करती है कि विकसित भारत का जो स्वप्न आज 140 करोड़ भारतीय देख रहे हैं, उसकी जड़ें 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के विचारों में अंकुरित हो चुकी थीं। भारतमाता के परम वैभव का जो स्वप्न संघ ने देखा, वही आज विश्वगुरु भारत की आशा और आकांक्षा के रूप में परिलक्षित हो रहा है।संघ शताब्दी सोपान पर इस पुस्तक का केंद्रीय विचार भी पंच परिवर्तन है, जिसमें सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्व-जागरण, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक कर्तव्यों की चेतना को राष्ट्रीय उत्थान के पाँच स्तंभों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।पूज्य गुरुजी ने भारत को एक सांस्कृतिक जीवसत्ता के रूप में देखा, जो अखंड, अविनाशी और धर्म-आधारित राष्ट्र है। उनके लिए देशभक्ति मात्र भौगोलिक निष्ठा न होकर राष्ट्र के सांस्कृतिक लक्ष्य के प्रति आध्यात्मिक समर्पण थी। आज पंच परिवर्तन का यह विचार इसी भाव को और पुष्ट करते हुए न केवल भारत अपितु वैश्विक स्तर पर मुँह बाए खड़ी चुनौतियों व समस्याओं का भी निदान प्रस्तुत करेगा।