Phool Shabnam Ke Poems(Hindi, Paperback, Gulshan Govind)
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मेरी पलकों पे अगर ख़्वाब उतरने लगतेदिन के लम्हा तभी नींदों में गुज़रने लगतेउनका पैग़ाम, अगर लेके चली आती सबाफूल शबनम के हर इक शाख़ से झरने लगतेतितलियाँ अपने परों को नहीं फैलातीं अगररंग बरसात में फूलों के उतरने लगतेकाश! आ जाती नज़र कोई अँधेरों में किरनहम उमीदों की भी गलियों से गुज़रने लगतेदूरबीनों की सिफ़त होती अगर आँखों मेंलोग अंजाम और आग़ाज़ से डरने लगते