Samkalin Hindi Kahaniyon Main Samvedna Aur Shilp(Paperback, Hindi, Dr. Archana Sharma)
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समकालीन हिंदी कहानियों में संवेदना और शिल्प का अध्ययन करने के लिए 1950 से अब तक के साहित्यिक परिदृश्य का विश्लेषण करना ज़रूरी है। इस अवधि में हिंदी कहानी लेखन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिनका प्रभाव संवेदना और शिल्प पर देखा जा सकता है। 1950 के दशक में हिंदी कहानियों में स्वतंत्रता संग्राम के बाद के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालातों की छवि देखने को मिलती है। इस दौर में कहानियों में समाज के निचले तबके, ग्रामीण जीवन, और विभाजन की त्रासदी जैसे विषय प्रमुख रहे। इस दौर के कहानीकारों में प्रेमचंद, यशपाल, और अज्ञेय जैसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने सरल भाषा और नैतिकता पर जोर दिया। प्रेमचंद की कहानियों में समाज के निचले तबके की पीड़ा और संघर्ष की गहन संवेदना झलकती है।समकालीन हिंदी कहानियों में संवेदना और शिल्प में समय के साथ काफी परिवर्तन हुआ है। 1950 से लेकर आज तक की कहानियों ने समाज की बदलती धड़कनों को पकड़ने का प्रयास किया है, और इसका प्रभाव शिल्प में भी देखा जा सकता है। कहानियों में सामाजिक, राजनीतिक, और व्यक्तिगत मुद्दों का जिक्र नए और अनूठे शिल्प में होता है, जो आज की कहानियों को विशिष्ट बनाता है