Shahar Ke Naam(Hindi, Paperback, Garg Mridula)
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शहर के नाम - व्यक्ति समाज में ही नहीं जीता, समाज को भी जीता है। एक की पीड़ा दूसरे की बने तभी मानवीय संवेदना जन्म लेती है जो लेखक को पाठक से इस तरह जोड़ती है कि सृजन का अधिकार दोनों का साझा हो जाता है। फिर समाज केवल नारी और पुरुष का समूह ही नहीं होता वरन् गाँव, शहर, देश व सारा-का-सारा परिवेश भी उसका अभिन्न अंग होता है। और व्यक्ति का इनसे रिश्ता समाज के व्यक्तित्व को बनाता-बिगाड़ता है। इस संग्रह की कहानियाँ इसी रिश्ते और संवेदना से रँगी हैं। इनके पात्र बाहरी जन नहीं बने रहते। शहर के साथ उनका सम्बन्ध अनेक रंगों में खिलता है, फूलता-फलता और मुरझाता है और हर हाल में पाठक को बाध्य करता है कि वह जो घट चुका, उसके आगे बार-बार चिन्तन करे।प्रतिष्ठित कथाकार मृदुला गर्ग की बहुचर्चित कहानियों के संग्रह 'शहर के नाम' का प्रस्तुत है नया संस्करण।