Smritiyan 1947 : Bangal Vibhajan Ki Kahaniyan(Paperback, Tr. Kanchan Verma, Maitreyee Mandal) | Zipri.in
Smritiyan 1947 : Bangal Vibhajan Ki Kahaniyan(Paperback, Tr. Kanchan Verma, Maitreyee Mandal)

Smritiyan 1947 : Bangal Vibhajan Ki Kahaniyan(Paperback, Tr. Kanchan Verma, Maitreyee Mandal)

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विभाजन पर लिखी इन कहानियों को पढ़कर स्पष्ट होता है कि लेखकगण लगातार अपनी भावनाओं को पुरजोर तरीके से अभिव्यक्त कर रहे थे और कहानियाँ इस विषय पर विभिन्न बिंदुओं और दृष्टिकोणों से लिखी जा रही थीं। इन कहानियों में विभाजनकालीन स्थितियाँ मूर्तिमान हो उठी हैं। कहानियों का मूल स्वर मानवीय करुणा है। ये कहानियाँ मानवीय मूल्यों और आहत मानवीय संवेदना से परिपूर्ण हैं। मुख्य तौर पर उन कहानियों को अनूदित कर संकलित किया है जिनमें स्त्रियों की करुणा तथा बदली हुई परिस्थितियों में मानसिक स्थिति का बड़ा ही मार्मिक उद्घाटन लेखकों द्वारा किया गया है। एक ओर जहाँ इन कहानियों में अपनी मातृभूमि से बिछुड़ने का दुःख है तो दूसरी ओर बदलती परिस्थितियों में स्त्रियों की मानसिकता का बड़ा सशक्त चित्रण हुआ है।भारत विभाजन पर जिस प्रकार का विपुल साहित्य पंजाबी से उर्दू तथा हिंदी में अनूदित होकर आया है, वैसा बांग्ला से हिंदी में नहीं हो पाया है। बंगाल विभाजन से संबंधित हिंदी में अनूदित कहानियाँ उपलब्धता की दृष्टि से न के बराबर हैं। फुटकल रूप से पत्र-पत्रिकाओं में दो-चार कहानियाँ मिल जाती हैं, लेकिन कथासम्मत या चयनिका के रूप में बांग्ला विभाजन की कहानियाँ अभी तक हिंदी में उस स्तर पर प्रकाशित नहीं हुई हैं।इसी अभाव की पूर्ति की दिशा में हमारी अनूदित पुस्तक 'स्मृतियाँ 1947 : बंगाल विभाजन की कहानियाँ' एक विनम्र प्रयास है।