The Naga Story(Hindi, Paperback, Bajpai Suman)
Quick Overview
Product Price Comparison
गुफा में एकदम अँधेरा था। शरीर पर भस्म लगाए जटाधारी साधुओं को वहाँ मौन साधना में लीन देख काँप गए रूमी और शेखर। नागा साधुओं के बारे में जानने की इच्छा उन्हें वहां खींच लाई थी। कोई साधु ध्यानमग्न था, कोई तप में । कोई मौन साधना करता प्रतीत हो रहा था। बर्फीले एकांत में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में वे साधक तप कर रहे थे। लंबी-लंबी जटाओं को सिर पर लपेटा हुआ था। ठंड के बावजूद उनकी देह पर कोई कंपन नहीं था मानो मन की दृढ़ता ने देह को भी जड़ बना दिया हो। चेहरे पर रुक्षता, क्रोध को लपटों से आच्छादित पूरा अस्तित्व-निर्विकार, तटस्थ, सांसारिक झंझटों से मुक्त...इस एकांत दुनिया में कदम रखने से पहले कोई दो बार सोचेगा, पर जिनमें जुनून होता है, कुछ करने का हौसला होता है, उन्हें कैसा डर...कुछ अलग करने को दृढ़ता व्याप्त थी उस शेखर के चेहरे पर...कुछ पल पहले जो डर उत्पन्न हुआ था, वह तिरोहित हो चुका था | रूमी भी आश्वस्त थी उसके साथ। क्या वह कोई प्रेमी युगल था जो गलती से घूमता हुआ इन कंदराओं में भटक गया था। क्या ये जानते नहीं कि यहां सामान्य इंसान का आना निषेध है ? इन तपस्वियों का ध्यान भंग करने का दंड क्या हो सकता है, सोचा है इन्होंने या कोई तलाश इन्हें यहां खोंच लाई है?शिव भक्त, शस्त्रधारी नागा साधुओं का जीवन उनके लिए किसी अनसुलझे रहस्य से कम नहीं था। कुंभ में वे हजारों की संख्या में दिखते हैं और फिर अचानक न जाने कहाँ गायब हो जाते हैं। कौन होते हैं नागा साधु, कैसा होता है उनका जीवन और क्यों उन्हें धर्मरक्षक योद्धा कहा जाता है, जानिए इस रोचक व सर्वथा नूतन शैली में लिखे उपन्यास में।