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Hastaksharon Ke Raaz

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Hastaksharon Ke Raaz by Govind Kumar Saxena

 

हम चाहें तो लिपि को संतुलित करके , उसे सार्थक रूप देकर या फिर उसे आवश्यकतानुसार परिवर्तित करके मस्तिष्क की संचेतनाओं को बदल सकते हैं और इस तरह अपने से जुड़े सभी सरोकारों को सही रास्ते पर लाकर सफलता के सोपान तय कर सकते हैं। लिपि विज्ञान के चमत्कार पर लोगों को सहसा विश्वास नहीं होता। यथा कोलकाता के जय कु मार बागड़ी ने जब इस विज्ञान के चमत्कार को देखा तो अनायास ही कह उठे “यह तो डेनजरस विज्ञान है, इससे सब कु छ पता चल जाता है।” व्यक्ति के भीतर छिपे रहस्यों को उजागर करने और व्यक्ति की पहचान करने में यह विज्ञान अच्छी भूमिका निभा सकता है। सच

तो यह है कि इस विज्ञान में जितना मैं रमा उतनी ही गहराइयों में डू बता चला गया। इस विज्ञान ने मुझे चमत्कृत ही नहीं किया बल्कि मुझे प्रेरित भी किया कि मैं इसके प्रचार-प्रसार की दिशा में कु छ करूं । इसी प्रेरणा का प्रतिफल है कि इस पुस्तक के रूप में मेरा छोटा सा प्रयास आपके समक्ष है। ज्ञान-विज्ञान का क्षेत्र इतना व्यापक होता है कि उसे कु छ पृष्ठों में नहीं समेटा जा सकता फिर भी मेरा प्रयास रहा कि मैं लिपि विज्ञान से जुड़ी महत्वपूर्णव जरूरी बातें समेट सकूं ।